आबादी व्यवस्थापन विनियमावली के तहत प्राधिकरण ने एक हजार से ज्यादा किसानों को लाभ दे दिया है। शुक्रवार को चेयरमैन व सीईओ बलविंदर कुमार ने इसकी सूची जारी कर दी है। प्राधिकरण अब जल्द ही किसानों को विनियमितिकरण का पत्र जारी करेगा। वाणिज्यिक सर्वे पर भ्रम की स्थिति खत्म करने के लिए मार्केट के अनुसार नियमितिकरण शुल्क लगाने की बात कही जा रही है।
प्राधिकरण ने एक दर्जन गांवों की सूची शुक्रवार को जारी की है। इसके अनुसार करीब 1272 खातेदारों के लगभग 2063 परिवार लाभांवित होंगे। इनकी आबादी विनियमित करने के लिए प्राधिकरण को 281219.91 वर्गमीटर भूमि किसानों के पक्ष में बतौर आबादी नियमित करनी पड़ी है। इन किसानों को पांच फीसदी के भूखंड के रूप में प्राधिकरण जल्द ही 5,04,171 वर्गमीटर भूमि आवंटित करेगा। आबादी विनियमितिकरण का लाभ पाने वालों में बादौली-बांगर के 82, वाजिदपुर के 172, नगली-नगला के 28, शहदरा के 270, पर्थला-खंजरपुर के 169, सर्फाबाद के 13, सदरपुर के 225, बरौला के 44, होशियारपुर के 56 और आगाहपुर के 36 किसान शामिल हैं। चेयरमैन ने बताया कि इन किसानों को प्रस्तावित संशोधन के तहत ही विनियमितिकरण का लाभ दिया गया है। प्राधिकरण आबादी के रूप में नियमित करने वाली जमीन लीजबैक करेगा। इसके लिए 450 वर्गमीटर प्रति बालिक परिवार का मानक अपनाया गया है। इसके बाद भी कुछ मामलों में नियोजन विभाग के साथ मिलकर केस टू केस फैसला लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि अगर किसान ने नियमित होने वाली जमीन का मुआवजा उठा लिया है तो वह उसे वापस करना होगा। पांच प्रतिशत का लाभ भी कुल अधिग्रहित जमीन से नियमित होने वाली भूमि को घटाकर दिया जाएगा। गांव में आबादी के लिए जो जमीन खाली छोड़ दी गई है, उसे सर्वे में शामिल नहीं किया गया है।
इसी तरह चेयरमैन ने बताया कि बिना सर्वे वाणिज्यिक गतिविधियों को नियमित नहीं किया जा सकता। सर्वे के बिना यह पता नहीं लग सकता है कि कितने मूल किसान हैं और कितने ऐसे व्यापारी हैं जिन्होंने बाहर से आकर यहां दुकानें अथवा वाणिज्यिक प्रतिष्ठान खरीद रखे हैं। किस वाणिज्यिक स्थल पर किसका कब्जा है यह जाने बिना सभी को लाभ देना संभव नहीं है। हालांकि उन्होंने फिर आश्वासन दिया कि मूल किसान की वाणिज्यिक गतिविधियां बेहद कम कीमत पर नियमित होंगी, जिसे वह वहन कर सकता हो। दुकानें नियमित करने से पहले वहां की मार्केट वैल्यू भी देखी जाएगी। जिन प्रतिष्ठानों पर बाहरी लोग काबिज हैं उनके लिए अलग दर लागू होगी, यह भी शहर की वर्तमान वाणिज्यिक दर से कम रहेगी। साथ ही चेयरमैन ने बताया कि वर्ष 1976 से 1997 तक के किसानों के लिए पूर्व में निकाली गई आरक्षित श्रेणी के प्लॉट की योजना में आवेदन की तिथि 15 दिन बढ़ा दी गई है। किसान अब 30 सितंबर तक आवेदन कर सकेंगे। उन्होंने बताया कि एक हजार प्लॉट के सापेक्ष अब तक करीब पांच सौ आवेदन ही प्राप्त हुए थे, इसलिए तिथि बढ़ाने का निर्णय लिया गया।