इलाहाबाद। नोएडा, ग्रेटर नोएडा व नोएडा एक्सटेंशन में किसानों की भूमि अधिग्रहण के खिलाफ याचिकाओं की सुनवाई मंगलवार को भी जारी रहेगी। गजराज सहित सैकड़ों किसानों की याचिकाओं की सुनवाई हाईकोर्ट की तीन सदस्यीय पूर्णपीठ न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति एसयू खान तथा न्यायमूर्ति वीके शुक्ला द्वारा की जा रही है। सोमवार को सुनवाई पटवारी गांव तक ही केंद्रित रही।
किसानों की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता एचआर मिश्र व अन्य अधिवक्ताओं का तर्क था कि भूमि अधिग्रहण राज्य सरकार द्वारा अपने अधिकारों का दुरुपयोग करते हुए अथॉरिटी व बिल्डरों की दुरभिसंधि से किया गया है। सुप्रीम कोर्ट के शाहबेरी गांव केस व देवेंद्र कुमार केस के फैसले में स्थापित विधि सिद्धांत पटवारी गांव के अधिग्रहण मामले में लागू होता है। राज्य सरकार की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता नागेश्वर राव, मुख्य स्थाई अधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी व ग्रेटर नोएडा के अधिवक्ताओं का कहना है कि शाहबेरी गांव का फैसला पटवारी गांव पर लागू नहीं होगा, क्योंकि इस मामले में भूमि का उपयोग बदल दिया गया था। अधिवक्ता मनीष गोयल, कमल सिंह यादव व उमेश नारायण शर्मा का कहना था कि देवेंद्र कुमार केस के फैसले के बाद कुछ भी निर्णय किया जाना बाकी है। इन्होंने पटवारी गांव में दो खंडपीठ के फैसले में मतथिलता की भी व्याख्या की गई, जिस पर बाद में आए फैसले के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने दिशा-निर्देश तय कर दिया है, जिसमें अर्जेसी क्लाज के लागू करने को स्पष्ट किया है।
किसानों की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता एचआर मिश्र व अन्य अधिवक्ताओं का तर्क था कि भूमि अधिग्रहण राज्य सरकार द्वारा अपने अधिकारों का दुरुपयोग करते हुए अथॉरिटी व बिल्डरों की दुरभिसंधि से किया गया है। सुप्रीम कोर्ट के शाहबेरी गांव केस व देवेंद्र कुमार केस के फैसले में स्थापित विधि सिद्धांत पटवारी गांव के अधिग्रहण मामले में लागू होता है। राज्य सरकार की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता नागेश्वर राव, मुख्य स्थाई अधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी व ग्रेटर नोएडा के अधिवक्ताओं का कहना है कि शाहबेरी गांव का फैसला पटवारी गांव पर लागू नहीं होगा, क्योंकि इस मामले में भूमि का उपयोग बदल दिया गया था। अधिवक्ता मनीष गोयल, कमल सिंह यादव व उमेश नारायण शर्मा का कहना था कि देवेंद्र कुमार केस के फैसले के बाद कुछ भी निर्णय किया जाना बाकी है। इन्होंने पटवारी गांव में दो खंडपीठ के फैसले में मतथिलता की भी व्याख्या की गई, जिस पर बाद में आए फैसले के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने दिशा-निर्देश तय कर दिया है, जिसमें अर्जेसी क्लाज के लागू करने को स्पष्ट किया है।