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एक्सटेंशन में बिल्डरों के दफ्तर में सन्नाटा पसरा है। निर्माण कार्य कर रहे ठेकेदारों को डर सता रहा है कि कहीं उनका पैसा फंस न जाए। मजदूर भी अपना सामान समेटकर चले गए हैं। पिछले दिनों तमाम दिक्कतों के बाद भी बिल्डर निर्माण कार्य करा रहे थे। ताकि निवेशक मौके पर जाएं तो उन्हें लगे कि जहां पर पैसा लगाया है, वहां पर फ्लैटों का निर्माण कार्य चल रहा है। हालांकि, निवेशक अभी भी अपना पैसा वापस लेने के मूड में नहीं दिखाई दे रहे हैं। जमीन की कीमत पहले 11500 रुपये प्रति वर्ग मीटर थी, अब 17300 रुपये प्रति वर्ग मीटर हो चुकी है। इसके अलावा बिल्डरों से ही मुआवजा की बढ़ी हुई दर वसूली जा रही है। इसका सीधा प्रभाव फ्लैटों की कीमतों पर पड़ेगा। फ्लैट करीब दोगुने महंगे हो जाएंगे। एक्सटेंशन में करीब 2.50 लाख फ्लैट बनने हैं। फिलहाल 20 फीसदी तक ही बुक हुए हैं।
दरअसल, निवेशक यह जानते हैं कि उन्होंने जो फ्लैट बुक कर रखे हैं, भविष्य में उतनी कीमत पर दोबारा फ्लैट नहीं मिलेगा। इसका कारण है कि शाहबेरी में नए सिरे से जमीन अधिग्रहण का काम होगा। पहले की अपेक्षा 30 फीसदी बढ़ी हुई दर पर बिल्डरों को जमीन मिलेगी। उसका पैसा निवेशकों से ही लिया जाएगा, लिहाजा फ्लैटों के दाम बढ़ जाएंगे। इसी तरह पतवाड़ी में बिल्डरों से अतिरिक्त 550 रुपये प्रति वर्ग मीटर प्राधिकरण ले रहा है। बिल्डर भी फ्लैटों की कीमत बढ़ाएंगे। इसके अलावा अन्य बिल्डरों को भी अतिरिक्त भार देना पड़ रहा है, इसलिए वह फ्लैटों की कीमत बढ़ाकर अपना घाटा पूरा करेंगे। निर्माण कार्य रुकने से हुआ नुकसान, फ्लैटों के बनने में देरी, बैंक द्वारा बढ़ा हुआ ब्याज आदि कारणों से फ्लैटों की दोगुनी कीमत होनी निश्चित है। करीब दो माह पहले सुप्रीम कोर्ट ने गांव की 156.903 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण रद्द करके किसानों को वापस करने के निर्देश दिया था। कोर्ट का आदेश आते ही वहां के सात बिल्डरों ने काम को रोक दिया था। इसके बाद पतवाड़ी गांव की 589 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहण प्रतिक्रिया को भी इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निरस्त कर दिया था। वहां पर 11 बिल्डरों को काम रोकना पड़ा।
हालांकि, बाद में कोर्ट ने सुलह का रास्ता बताया था। लेकिन अभी भी एक्सटेशन के भविष्य पर संशय बरकरार है। एक्सटेंशन के बिसरख, रोजा याकूबपुर, इटैड़ा, हैबतपुर, सैनी, मिलक लच्छी आदि गांव की जमीन पर छोटे बड़े करीब 50 बिल्डरों के प्रोजेक्ट हैं। वहां पर अब निर्माण कार्य पूरी तरह से बंद है। यहां हजारों की संख्या में मजदूर लगे थे, अब दिखाई नहीं दे रहे हैं। सभी की निगाहें कोर्ट में चल रही सुनवाई पर अटकी हुई हैं।
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