नई दिल्ली नोएडा व ग्रेटर नोएडा में जमीन अधिग्रहण को लेकर हुए विवाद की आग दिल्ली के किसानों तक भी पहुंच गई है। बरवाला गांव के 172 किसानों ने दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर उनकी जमीन अधिग्रहण करने के संबंध में दिल्ली सरकार द्वारा जारी अधिसूचना को रद करने की मांग की है। अदालत ने केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार व दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा है। इस मामले में 10 जनवरी, 2012 को सुनवाई होगी। बरवाला गांव के 172 किसानों ने नोएडा जमीन मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले का हवाला देते हुए कहा है कि सरकार की 25 नवंबर 2009 की उस अधिसूचना को रद किया जाए जिसमें इनकी 233 बीघा व दस बिसवा जमीन अधिग्रहित करने की बात कही गई थी। उनसे जमीन न ली जाए। या फिर सरकार को कहा जाए कि इनको बाजार मूल्य के हिसाब से जमीन का मुआवजा दिया जाए। मुआवजा 53 लाख रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से दिया गया है, जबकि जमीन का बाजार मूल्य पांच करोड़ रुपये प्रति एकड़ है। इनका कहना है कि 6 मई 1992 में डीडीए ने इनके गांव का विकास करने के लिए एक आदेश पास किया था, परंतु कुछ नहीं किया गया। अब 28 साल बाद रोहिणी आवास योजना फेज-चार व पांच के नाम पर दिल्ली सरकार ने 25 नवंबर 2009 को एक अधिसूचना जारी की और अरजेंसी क्लाज लगाकर उनकी जमीन अधिग्रहित कर ली। उसके बाद भी 18 माह तक कुछ नहीं किया। जो साफ जाहिर कर रहा है कि कोई ऐसी गंभीर जरूरत नहीं थी।रोहिणी आवास योजना के नाम पर जो जमीन पहले ली गई थी, उसका भी पूरा उपयोग नहीं हुआ है। बीस अप्रैल, 2010 को सरकार ने कहा कि जमीन उनके कब्जे में आ गई है परंतु वह कागजातों में ही सरकार के कब्जे में है। असल में जमीन अब भी किसानों के पास ही है। एक जुलाई 2011 को जमीन अधिग्रहित करने वाले कलेक्टर ने उनको 53 लाख रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से मुआवजा तय करके दे दिया। 15 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले का हवाला देते हुए कहा कि बिना सही कारणों के अरजेंसी की बात कहना धोखा है।... Source : Dainik Jagran
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