डुअल रेट होम वाली होम लोन स्कीम फिर से वापस आ रही हैं। हालांकि, ये पुरानी स्कीम से कुछ अलग हैं। आईसीआईसीआई बैंक ने शुरुआती एक या दो साल तक फिक्स्ड रेट वाले होम लोन प्रॉडक्ट लॉन्च कर इसका मैदान तैयार कर दिया है। बैंक पहले साल के लिए होम लोन पर 10.5 फीसदी और 11.5 फीसदी के बीच ब्याज वसूलेगा और दूसरे साल में 10.75 फीसदी से 11.75 फीसदी के बीच ब्याज लिया जाएगा। ब्याज दरों में यह अंतर कर्ज की रकम पर निर्भर करेगा।

पिछले सप्ताह एचडीएफसी ने भी फिक्स्ड और फ्लोटिंग दरों के मिश्रण वाला होम लोन प्रॉडक्ट लॉन्च किया है। एचडीएफसी पहले तीन साल के लिए 10.75 से 11.75 फीसदी, या फिर पांच साल के लिए 11.25 फीसदी से 11.75 फीसदी के बीच ब्याज लेगा। एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस भी 'न्यू एडवांटेज 5' स्कीम लॉन्च कर इस खेल में शामिल हो गई है। यह प्रॉडक्ट आपको पहले 5 साल के लिए फिक्स्ड ब्याज दर ऑफर कर रहा है, उसके बाद आपको फ्लोटिंग दरों पर ब्याज देना होगा। एलआईसी हाउसिंग पहले 5 साल के लिए 11.15 फीसदी से 11.65 फीसदी तक ब्याज लेगी।

इस तरह के हाइब्रिड लोन प्रॉडक्ट पहले कुछ साल के लिए तयशुदा दरों पर ब्याज वसूलेंगे और उसके बाद ये बैंक की बेंचमार्क दरों के मुताबिक फ्लोटिंग रेट पर ब्याज लेंगे। अब यह समझना होगा कि कुछ समय पहले बंद किए टीजर लोन प्रॉडक्ट से ये नए ऑफर किस तरह से अलग हैं। जानकारों का कहना है कि जब ब्याज दरें अपने लगभग 'पीक' पर पहुंच चुकी हैं, तब इस तरह के हाइब्रिड लोन प्रॉडक्ट को लॉन्च किया गया है। वहीं टीजर लोन के तहत कर्ज लेने वाले लोगों को शुरुआती सालों में बाजार में उपलब्ध ब्याज दरों से कम दरों पर कर्ज का भुगतान करना होता था। टीजर लोन के तहत शुरुआती सालों में कम दरों पर होम लोन ऑफर किया गया था। अब बड़ा सवाल यह है कि इन उत्पादों का क्या मतलब है?

एचडीएफसी की मैनेजिंग डायरेक्टर रेणु सूद कर्णाड का कहना है, 'कुछ ग्राहक फिक्स्ड दरों पर कर्ज लेने में रुचि दिखाते हैं। सामान्य दरों की तुलना में फिक्स्ड लोन के कम से कम 100 बेसिस अंक महंगा होने के बावजूद ऐसे लोन में ग्राहक रुचि दिखाते रहे हैं।'

लेकिन, जब ब्याज दरों में अब गिरावट का दौर देखने को मिलता है, तब क्या आपको ऊंची दरों पर कर्ज लेना चाहिए? क्या आपको फिक्स्ड लोन के लिए अधिक भुगतान करने का कोई मतलब बनता है?

यह टीजर प्रॉडक्ट नहीं है

टीजर लोन के तहत आने वाले कर्ज के लिए ग्राहकों को कुछ महीने या साल के लिए सामान्य होम लोन की ब्याज दरों की तुलना में कम दर पर भुगतान करना होता है। अपना पैसा के सीईओ हर्ष रुंगटा का कहना है, 'नई स्कीम में फ्लोटिंग दरों की तुलना में किसी तरह की राहत नहीं दी जा रही है। लंबी अवधि के लिए फिक्सड विकल्प में शामिल होने से ग्राहकों को फ्लोटिंग दरों की तुलना में प्रीमियम पर भुगतान करना होगा। कुछ सरकारी बैंक भी ग्राहकों को फ्लोटिंग दर पर होम लोन को स्थानांतरित करने से पहले कुछ समय के लिए फिक्स्ड दर पर ब्याज वसूलते हैं। ये नए ऑफर भी कुछ इसी तर्ज पर तैयार किए गए हैं।'

क्या ब्याज दरें अपने उच्चतम स्तर पर हैं?

यह एक ऐसा सवाल है, जिसके बारे में आपको जरूर विचार करना चाहिए? अगर ब्याज दरों में मौजूदा स्तर से कोई भी गिरावट देखी जाती है, तो इसका सीधा नुकसान इन नए प्रॉडक्ट के तहत कर्ज लेने वाले ग्राहकों को होगा। कर्णाड का कहना है कि ब्याज दरों का आगे क्या रुख रहेगा इस पर कोई भी भविष्यवाणी करना बेहद मुश्किल है। पिछले छह महीने में कई विशेषज्ञों ने ब्याज दरों के उच्चतम स्तर पर पहुंच जाने की बात कही है। लेकिन इस दौरान आरबीआई 125 बेसिस अंकों की बढ़ोतरी कर चुका है।' निश्चित तौर पर ब्याज दरों को लेकर पूर्वानुमान करना मुश्किल है, लेकिन अधिकतर विशेषज्ञों का मानना है कि इस स्तर से अब बहुत ऊपर जाने की गुंजाइश कम है।

पराग पारेख फाइनैंशल अडवाइजरी सर्विसेस के सीएफपी और वाइस प्रेसिडेंट जयंत आर पई का कहना है, 'यह लगभग आम राय है कि ब्याज दर अपने उच्चतम स्तर के आस-पास ही है। अगर इस सोच के साथ आगे बढ़ते हैं, तब डुअल लोन रेट वाले प्रॉडक्ट में रुचि नहीं लेना चाहिए। हालांकि, कई बार पूर्वानुमान लगाना आसान नहीं होता है। ऐसे में, मेरा मानना है कि किसी भी ग्राहक को अपने मनोवैज्ञानिक नजरिए को ध्यान में रखकर कर्ज के विकल्पों के बारे में विचार करना चाहिए। उनकी प्राथमिकता फिक्स्ड है या फ्लोटिंग, यह उनको तय करना चाहिए।'

क्या आपको डुअल लोन रेट का विकल्प चुनना चाहिए?

लैडर 7 फाइनैंशल अडवाइजरीज के सर्टिफाइड फाइनैंशल प्लानर सुरेश सदगोपन का कहना है, 'इस तरह की स्कीमें पहले आकर्षक थीं, क्योंकि उस समय ब्याज दरें ऊंचे स्तरों पर थीं। इस तरह की स्कीमों में कर्ज के शुरुआती सालों के दौरान कम दरों पर ब्याज की पेशकश की गई। शुरुआती दौर में जब ब्याज दर फिक्स्ड थी, तब उन्होंने ईएमआई के मामले में भी ग्राहकों को सहूलियत दीं। अब स्थितियां बदल गई हैं और इस तरह के लोन प्रोडक्ट का कोई मतलब नहीं है।' दूसरी बात, इस तरह के प्रॉडक्ट के तहत ब्याज दर फ्लोटिंग दरों से अधिक है।

रुंगटा का कहना है, 'यह भी साफ नहीं है कि फ्लोटिंग दरों पर प्री-पेमेंट शुल्क नहीं लेने संबंधी नियम इस तरह के डुअल रेट वाले लोन प्रॉडक्ट पर लागू होंगे या नहीं। इसलिए सभी दृष्टिकोण से देखा जाए तो आप इन स्कीमो के झांसे में नहीं आएं और बेहतर फ्लोटिंग रेट वाली स्कीमों पर ही ध्यान दें।' हालांकि, अगर आप लंबी अवधि के लिए होम लोन लेना चाहते हैं और आप फिक्स्ड कंपोनेंट के बदले प्रीमियम भुगतान करने को लेकर चिंतित नहीं हैं, तब डुअल रेट वाले होम लोन प्रोडक्ट ले सकते हैं। पई कहते हैं, 'अगर कोई ग्राहक 10 साल से अधिक समय के लिए कर्ज लेना चाहता है, तब उसके लिए यह बड़ी दिक्कत नहीं है। उनकी कुल अवधि में फिक्स्ड रेट का हिस्सा थोड़ा ही होगा। लेकिन अगर कोई ग्राहक इससे कम अवधि के लिए कर्ज लेना चाहता है, तब उसके लिए यह उचित प्रॉडक्ट नहीं होगा।' --NBT--Vijay Trivedi

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एक्सटेंशन में बिल्डरों के दफ्तर में सन्नाटा पसरा है। निर्माण कार्य कर रहे ठेकेदारों को डर सता रहा है कि कहीं उनका पैसा फंस न जाए। मजदूर भी अपना सामान समेटकर चले गए हैं। पिछले दिनों तमाम दिक्कतों के बाद भी बिल्डर निर्माण कार्य करा रहे थे। ताकि निवेशक मौके पर जाएं तो उन्हें लगे कि जहां पर पैसा लगाया है, वहां पर फ्लैटों का निर्माण कार्य चल रहा है। हालांकि, निवेशक अभी भी अपना पैसा वापस लेने के मूड में नहीं दिखाई दे रहे हैं। जमीन की कीमत पहले 11500 रुपये प्रति वर्ग मीटर थी, अब 17300 रुपये प्रति वर्ग मीटर हो चुकी है। इसके अलावा बिल्डरों से ही मुआवजा की बढ़ी हुई दर वसूली जा रही है। इसका सीधा प्रभाव फ्लैटों की कीमतों पर पड़ेगा। फ्लैट करीब दोगुने महंगे हो जाएंगे। एक्सटेंशन में करीब 2.50 लाख फ्लैट बनने हैं। फिलहाल 20 फीसदी तक ही बुक हुए हैं।
दरअसल, निवेशक यह जानते हैं कि उन्होंने जो फ्लैट बुक कर रखे हैं, भविष्य में उतनी कीमत पर दोबारा फ्लैट नहीं मिलेगा। इसका कारण है कि शाहबेरी में नए सिरे से जमीन अधिग्रहण का काम होगा। पहले की अपेक्षा 30 फीसदी बढ़ी हुई दर पर बिल्डरों को जमीन मिलेगी। उसका पैसा निवेशकों से ही लिया जाएगा, लिहाजा फ्लैटों के दाम बढ़ जाएंगे। इसी तरह पतवाड़ी में बिल्डरों से अतिरिक्त 550 रुपये प्रति वर्ग मीटर प्राधिकरण ले रहा है। बिल्डर भी फ्लैटों की कीमत बढ़ाएंगे। इसके अलावा अन्य बिल्डरों को भी अतिरिक्त भार देना पड़ रहा है, इसलिए वह फ्लैटों की कीमत बढ़ाकर अपना घाटा पूरा करेंगे। निर्माण कार्य रुकने से हुआ नुकसान, फ्लैटों के बनने में देरी, बैंक द्वारा बढ़ा हुआ ब्याज आदि कारणों से फ्लैटों की दोगुनी कीमत होनी निश्चित है। करीब दो माह पहले सुप्रीम कोर्ट ने गांव की 156.903 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण रद्द करके किसानों को वापस करने के निर्देश दिया था। कोर्ट का आदेश आते ही वहां के सात बिल्डरों ने काम को रोक दिया था। इसके बाद पतवाड़ी गांव की 589 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहण प्रतिक्रिया को भी इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निरस्त कर दिया था। वहां पर 11 बिल्डरों को काम रोकना पड़ा।
हालांकि, बाद में कोर्ट ने सुलह का रास्ता बताया था। लेकिन अभी भी एक्सटेशन के भविष्य पर संशय बरकरार है। एक्सटेंशन के बिसरख, रोजा याकूबपुर, इटैड़ा, हैबतपुर, सैनी, मिलक लच्छी आदि गांव की जमीन पर छोटे बड़े करीब 50 बिल्डरों के प्रोजेक्ट हैं। वहां पर अब निर्माण कार्य पूरी तरह से बंद है। यहां हजारों की संख्या में मजदूर लगे थे, अब दिखाई नहीं दे रहे हैं। सभी की निगाहें कोर्ट में चल रही सुनवाई पर अटकी हुई हैं।

ग्रेटर नोएडा नोएडा एक्सटेंशन समेत अन्य गांवों में जमीन अधिग्रहण मामले की हाई कोर्ट में मंगलवार से लगातार सुनवाई होगी। हाई कोर्ट ने अब तक दो दर्जन गांवों की सुनवाई पूरी करने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है। सुनवाई को लेकर प्राधिकरण के अधिकारी सोमवार शाम इलाहाबाद के लिए रवाना हो गए। मालूम हो कि नोएडा, ग्रेटर नोएडा व यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण के 65 गांवों के किसानों ने जमीन अधिग्रहण के खिलाफ हाई कोर्ट में 495 याचिकाएं दायर कर रखी हंै। इलाहाबाद हाई कोर्ट की बड़ी बैंच 12 सितंबर से एक-एक गांव करके लगातार सुनवाई कर रही है। शनिवार व रविवार को अवकाश होने की वजह से सुनवाई नहीं हुई। मंगलवार से कोर्ट ने अन्य गांवों की सुनवाई करने का निर्णय लिया है। नोएडा एक्सटेंशन के गांव पतवाड़ी समेत दो दर्जन गांवों के मामले की सुनवाई पूरी हो चुकी है। सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। सभी गांवों की सुनवाई पूरी होने के बाद कोर्ट फैसला सुनाएगा। उम्मीद है कि सितंबर के अंतिम सप्ताह तक सभी गांवों की सुनवाई पूरी हो जाएगी। अपना पक्ष रखने के लिए प्राधिकरण के अधिकारी सोमवार शाम इलाहाबाद रवाना हो गए। किसान, बिल्डर व निवेशक भी अपना पक्ष रखने के लिए हाई कोर्ट के लिए रवाना हुए हैं। सीईओ से मिले कई गांवों के किसान : नोएडा एक्सटेंशन के पतवाड़ी, बिसरख, हैबतपुर व इटेड़ा गांव के किसानों ने सोमवार को सीईओ रमा रमन से मुलाकात की। किसानों ने कहा कि वे हाई कोर्ट में दाखिल याचिकाओं को वापस ले लेंगे, लेकिन पहले प्राधिकरण को किसानों की आबादी छोड़ने का शपथ पत्र देना होगा। किसानों की मांग पर प्राधिकरण गंभीरता से विचार कर रहा है। घोड़ी बछेड़ा गांव के किसानों ने भी सीईओ से मुलाकात की। किसानों ने आबादी अधिग्रहण का आरोप लगाते हुए कहा कि वे बेघर होने की स्थिति में आ गए हैं। जमीन देने वालों की कमी नहीं : ग्रेटर नोएडा व यमुना एक्सप्रेस वे प्राधिकरण क्षेत्र में एक तरफ किसान जमीन अधिग्रहण को हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे रहे हैं, दूसरी तरफ प्राधिकरण को जमीन देने वाले किसानों की संख्या भी कम नहीं है। दोनों जगह अनेक किसान खुद ही प्राधिकरण को जमीन देने के लिए आगे आ रहे हैं। पिछले छह माह में एक हजार से अधिक किसान प्राधिकरण के पक्ष में अपनी जमीन की सीधे रजिस्ट्री करा चुके हैं। करीब पांच सौ किसानों के आवेदन पत्र लंबित हैं। दस से पंद्रह दिन के अंदर प्राधिकरण इन पर निर्णय लेगा। ग्रेटर नोएडा व यमुना एक्सप्रेस वे प्राधिकरण क्षेत्र में पिछले एक वर्ष से जमीन अधिग्रहण के विरोध में किसानों का आंदोलन चल रहा है। किसान प्राधिकरण पर जबरन जमीन अधिग्रहण का आरोप लगा रहे हैं। भट्टा-पारसौल समेत कई जगह प्रशासन व किसानों के बीच टकराव हो चुका है। किसानों का कहना है कि प्राधिकरण को वे अपनी जमीन नहीं देना चाहते। दूसरी तरफ यमुना प्राधिकरण क्षेत्र के मूंजखेड़ा, मिर्जापुर, रूस्तमपुर, रबूपुरा, अच्छेजा बुजुर्ग, ऊंची दनकौर, अट्टा गुजरान व ग्रेटर नोएडा क्षेत्र के पल्ला, जुनपत, जारचा, धीर खेड़ा आदि एक दर्जन गांवों के करीब एक हजार किसान प्राधिकरण को करार नियमावली के तहत अपनी जमीन दे चुके हैं। इन किसानों की जमीन का अधिग्रहण नहीं किया गया, बल्कि किसानों ने प्राधिकरण के पक्ष में सीधी रजिस्ट्री की है। । आबादी नियमावली पर मांगी आपत्ति : उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा ग्रेटर नोएडा व यमुना एक्सप्रेस वे में आबादी नियमावली को मंजूर करने से पहले प्राधिकरण ने किसानों से आपत्ति मांगी है। बुधवार तक किसान अपने सुझाव व आपत्ति लिखित में दे सकते हैं। इसके बाद आपत्ति स्वीकार नहीं की जाएगी। बताया जाता है कि किसानों की आपत्तियों के निराकरण के बाद अगले सप्ताह आबादी नियमावली लागू कर दी जाएगी। डीसीईओ अखिलेश सिंह ने बताया कि प्राधिकरण ने इसके लिए बुधवार तक का समय निर्धारित किया है।- Via-DJ-Vijay Trivedi

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