ग्रेटर नोएडा नोएडा एक्सटेंशन समेत अन्य गांवों में जमीन अधिग्रहण मामले की हाई कोर्ट में मंगलवार से लगातार सुनवाई होगी। हाई कोर्ट ने अब तक दो दर्जन गांवों की सुनवाई पूरी करने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है। सुनवाई को लेकर प्राधिकरण के अधिकारी सोमवार शाम इलाहाबाद के लिए रवाना हो गए। मालूम हो कि नोएडा, ग्रेटर नोएडा व यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण के 65 गांवों के किसानों ने जमीन अधिग्रहण के खिलाफ हाई कोर्ट में 495 याचिकाएं दायर कर रखी हंै। इलाहाबाद हाई कोर्ट की बड़ी बैंच 12 सितंबर से एक-एक गांव करके लगातार सुनवाई कर रही है। शनिवार व रविवार को अवकाश होने की वजह से सुनवाई नहीं हुई। मंगलवार से कोर्ट ने अन्य गांवों की सुनवाई करने का निर्णय लिया है। नोएडा एक्सटेंशन के गांव पतवाड़ी समेत दो दर्जन गांवों के मामले की सुनवाई पूरी हो चुकी है। सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। सभी गांवों की सुनवाई पूरी होने के बाद कोर्ट फैसला सुनाएगा। उम्मीद है कि सितंबर के अंतिम सप्ताह तक सभी गांवों की सुनवाई पूरी हो जाएगी। अपना पक्ष रखने के लिए प्राधिकरण के अधिकारी सोमवार शाम इलाहाबाद रवाना हो गए। किसान, बिल्डर व निवेशक भी अपना पक्ष रखने के लिए हाई कोर्ट के लिए रवाना हुए हैं। सीईओ से मिले कई गांवों के किसान : नोएडा एक्सटेंशन के पतवाड़ी, बिसरख, हैबतपुर व इटेड़ा गांव के किसानों ने सोमवार को सीईओ रमा रमन से मुलाकात की। किसानों ने कहा कि वे हाई कोर्ट में दाखिल याचिकाओं को वापस ले लेंगे, लेकिन पहले प्राधिकरण को किसानों की आबादी छोड़ने का शपथ पत्र देना होगा। किसानों की मांग पर प्राधिकरण गंभीरता से विचार कर रहा है। घोड़ी बछेड़ा गांव के किसानों ने भी सीईओ से मुलाकात की। किसानों ने आबादी अधिग्रहण का आरोप लगाते हुए कहा कि वे बेघर होने की स्थिति में आ गए हैं। जमीन देने वालों की कमी नहीं : ग्रेटर नोएडा व यमुना एक्सप्रेस वे प्राधिकरण क्षेत्र में एक तरफ किसान जमीन अधिग्रहण को हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे रहे हैं, दूसरी तरफ प्राधिकरण को जमीन देने वाले किसानों की संख्या भी कम नहीं है। दोनों जगह अनेक किसान खुद ही प्राधिकरण को जमीन देने के लिए आगे आ रहे हैं। पिछले छह माह में एक हजार से अधिक किसान प्राधिकरण के पक्ष में अपनी जमीन की सीधे रजिस्ट्री करा चुके हैं। करीब पांच सौ किसानों के आवेदन पत्र लंबित हैं। दस से पंद्रह दिन के अंदर प्राधिकरण इन पर निर्णय लेगा। ग्रेटर नोएडा व यमुना एक्सप्रेस वे प्राधिकरण क्षेत्र में पिछले एक वर्ष से जमीन अधिग्रहण के विरोध में किसानों का आंदोलन चल रहा है। किसान प्राधिकरण पर जबरन जमीन अधिग्रहण का आरोप लगा रहे हैं। भट्टा-पारसौल समेत कई जगह प्रशासन व किसानों के बीच टकराव हो चुका है। किसानों का कहना है कि प्राधिकरण को वे अपनी जमीन नहीं देना चाहते। दूसरी तरफ यमुना प्राधिकरण क्षेत्र के मूंजखेड़ा, मिर्जापुर, रूस्तमपुर, रबूपुरा, अच्छेजा बुजुर्ग, ऊंची दनकौर, अट्टा गुजरान व ग्रेटर नोएडा क्षेत्र के पल्ला, जुनपत, जारचा, धीर खेड़ा आदि एक दर्जन गांवों के करीब एक हजार किसान प्राधिकरण को करार नियमावली के तहत अपनी जमीन दे चुके हैं। इन किसानों की जमीन का अधिग्रहण नहीं किया गया, बल्कि किसानों ने प्राधिकरण के पक्ष में सीधी रजिस्ट्री की है। । आबादी नियमावली पर मांगी आपत्ति : उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा ग्रेटर नोएडा व यमुना एक्सप्रेस वे में आबादी नियमावली को मंजूर करने से पहले प्राधिकरण ने किसानों से आपत्ति मांगी है। बुधवार तक किसान अपने सुझाव व आपत्ति लिखित में दे सकते हैं। इसके बाद आपत्ति स्वीकार नहीं की जाएगी। बताया जाता है कि किसानों की आपत्तियों के निराकरण के बाद अगले सप्ताह आबादी नियमावली लागू कर दी जाएगी। डीसीईओ अखिलेश सिंह ने बताया कि प्राधिकरण ने इसके लिए बुधवार तक का समय निर्धारित किया है।- Via-DJ-Vijay Trivedi

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