Press Release :

आज दिनांक 05/02/2012 को नेफ़ोमा मैम्बर्स की मीटिंग स्टार सिटी माल हुई । जिसमें बड़ी संख्या में बायर्स ने भी हिस्सा लिया ।
इस मीटिंग में निम्नलिखित मुद्दो पर चर्चा की गई : -

१. मुद्दा : अगर एन.सी.आर. प्लानिंग बोर्ड चुनाव के बाद भी मास्टर प्लान पास करने में देरी करता है तो बायर्स को क्या करना चाहिये ?

निचोड़ : सभी मेम्बर्स से मत लेने के बाद नेफ़ोमा टीम ने फ़ैसला किया है कि अगर चुनाव के बाद भी जल्दी ही इस मामले को नही सुलझाया गया तो बायर्स बड़ी संख्या में एक्त्रित हो कर एन.सी.आर. प्लानिंग बोर्ड दिल्ली
और यू.पी. , दोनो दफ़्तरो पर लगातार धरना प्रर्दशन किया जाएगा ।

२. मुद्दा : मास्टर प्लान पास ना होने के कारण पूरे ग्रेटर नोएडा में रजिस्ट्री का काम रुका हुआ है । जिसमें बड़ी संख्या में किसान भी परेशान है ? क्या इस मुद्दे पर उनका सहयोग लिया जाये ?

निचोड़ : सभी मैम्बर्स का कहना था कि अगर किसान इस मुद्दे पर हमारी मदद करते है तो हमे जरूर उनकी मदद लेनी चाहिए लेकिन सभी का मत था कि क्या वो इस मुद्दे पर हमारे साथ आयेगें ?
इस पर सबाल बना हुआ था । फ़िर भी हम मिडिया के माध्यम से सभी ग्रेटर नोएडा के किसान भाईयो से यह निवेदन करना चाहते है कि अगर आप हमारा इस मुद्दे पर सहयोग करे तो बायर्स और ग्रेटर नोएडा के किसान , दोनो के लिये अच्छा होगा । क्योकि दोनो के हित इस से जुड़े हुऎ है ।

३. मुद्दा : क्या बायर्स को सुप्रीम कोर्ट में एक पी.आई.एल. डालनी चाहिये ? जिसमें एन.सी.आर. प्लानिंग बोर्ड और ग्रैटर नोएडा अथोरि्टी को पार्टी बनाया जाये ।


निचोड़ : सभी का मत था कि पहले चुनाव के रिजल्ट का इन्तजार किया जाये ।

४. मुद्दा : सभी प्रोजेक्टो में बैंको का रोल ?

निचोड़ : नोएडा एक्स्टेंशन में जितने भी प्रोजेक्ट्स चल रहे है लगभग सभी ने बड़े-२ अखबारो में विज्ञापन दे कर खरिदारो को यह समझाने की कौशिश की थी की उनके प्रोजेक्ट्स बैंक से अप्रूव्ड है । बाकायदा बैंको के लोगो उनके प्रोजेक्ट्स के साथ विज्ञापित हुऎ थे । जबकी किसानो ने पहले ही हाई कोर्ट में केस दायर किया हुआ था ।

सभी बायर्स का मानना था कि उनका लोन पास करने से पहले बैंको ने प्रोसेशिंग फ़ीस के नाम पर एक बड़ी रकम उनसे बसूली थी । इस रकम में वो हिस्सा भी था जिसमें कि बैंको को कानूनी तरीके से जमीन की सत्यता की जानकारी इक्टठा करना होता है । तो क्या बायर्स को लोन देने के नाम पर जो रकम वसूली गई वो गलत थी । क्या बैंको के पास यह जानकारी नही थी की किसान कोर्ट में केस डाल चुके है । अगर बैंको ने भी बिल्डर्स के साथ मिलकर सिर्फ़ अपना लाभ कमाने के चक्कर में बायर्स को ठगा है तो अब जब जमीन के अस्तित्व का ही सकंट खड़ा हो गया है तब बैंको को भी ब्याज माफ़ी का ऎलान करना चाहिये । इसके अलावा नेफ़ोमा मैम्बर्स ने यह फ़ैसला लिया है कि वो आर.बी.आई. में एक आर.टी.आई डालेगें क्योकि सभी बैंक आर.बी.आई की गाईड लाईन को मानते है । आर.बी.आई से आर.टी.आई के माध्यम से यह सबाल किया जाएगा कि आखिर किस आधार पर ऎसे प्रोजेक्ट्स पर लोन दिया गया, जिसकी जमीन पर केस चल रहा था । क्या बैंकस भी इस गोरख धंधे में शामिल थे ? क्या बैंको ने अपनी ओर से यह सुनिश्चित नही किया था कि जमीन कानूनी रूप से सुरक्षित है कि नही ?

मीटिंग में संस्था के संस्थापक देवेन्द्र कुमार के अलावा डिप्टी चैयरमेन श्री विजय त्रिवेदी , प्रेजीडेंट अभिषेक कुमार ,वाईस प्रेजीडेंट अन्नू खान , स्वेता तिवारी, इन्द्रिश गुप्ता भी शामिल थे ।

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